क्यों इस मंदिर में जाने वाला इंसान बन जाता है पत्थर??
जिस मंदिर में भगवान विराजमान है।जिस मंदिर में कभी भक्तों का मेला लगा करता था। उसी मंदिर में अब क्यों कोई भक्त रात को रूक नहीं सकता? दावा किया जाता है कि एक मंदिर ऐसा भी है जिसे आज तक रात में किसी ने नहीं देखा और जिसने भी मंदिर में रहकर इसे परखने की कोशिश की वह पत्थर बन गया। राजस्थान के किले महल और संस्कृति पूरी दुनिया में मशहूर है इसी राजस्थान में बाड़मेर से 43 किलोमीटर दूर बना सदियों पुराना किराड़ू का मंदिर जिसे राजस्थान का खजुराहो भी कहा जाता है।
यहां पांच मंदिरों की श्रृंखला है देश में विष्णु मंदिर और सोमेश्वर मंदिर थोड़ी ठीक हालत में है बाकी मंदिर खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। इन मंदिरों को बेहतरीन कारीगरी के साथ कई कारीगरों ने मिलकर 11वीं शताब्दी में बनाया था।
इन मंदिरों का निर्माण करवाने में परम भूमिका परमार राजोश की रही थी। लेकिन आखिर ऐसा क्या हुआ कि जिन मंदिरों के निर्माण में इतना वक्त और मेहनत लगाई गई वह खूबसूरत मंदिर रातो रात विरान क्यों हो गए पौराणिक कहानियों में कई ऐसे साधुओं का जिक्र किया जा चुका है जिनके शब्दों में इतनी ताकत थी कि वह अपने शराब श्राप वरदान से किसी की जिंदगी सुधार देते थे तो किसी की बिगाड़ देते थे।
कहा जाता है कि एक बार इस गांव में एक सिद्धि ऋषि रुके थे। कुछ दिन बाद वह वहां से देश भ्रमण के लिए निकल गए लेकिन जाने से पहले उन्होंने अपने शिष्यों को गांव वालों के सहारे यही छोड़ दिया जब वह शांत वापस आए तो उन्होंने देखा कि उनके सारे शिष्य काफी खराब हालत में थे दरअसल हुआ यह था कि उनके जाने के बाद उनके शिष्यों की हालत अचानक से बिगड़ गई थी एक सिवाया किसी ने उनकी कोई सहायता नहीं की गांव की एक महिला को छोड़ किसी गांव वासी ने उनकी कोई सहायता नहीं की संत को यह बात पता चली तो वह बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने कहा किस गांव के इंसानों में इंसानियत ही नहीं है इसलिए ऐसे इंसानों को जिंदा रहने का भी कोई अधिकार नहीं इसीलिए उन्होंने पूरे गांव को यह श्राप दिया के इस गांव का कोई भी इंसान शाम ढलने के बाद जिंदा नहीं रहेगा जो जिस हालत में है वह उसी हालत में पत्थर का बन जाएगा और तभी से यह गांव वीरान हो गया और यहां सिर्फ मंदिर के ही नहीं बल्कि गांव के भी अभिशेष मौजूद है।
इस मंदिर से कुछ दूर जमीन में एक मूर्ति घड़ी हुई है तूफान से उड़ती रेत यह जमती गई और यह मूर्ति अब सिर्फ 1 फीट तक ही नजर आती है इस मूर्ति को लाख कोशिशों के बाद आज तक कोई भी हिला नहीं सका है सेना के जवान भी कोशिश कर चुके हैं गांव वाले बताते हैं कि यह मूर्ति उसी महिला की है जिसने संत के शिष्यों की सहायता की थी कहा जाता है कि उस संत ने उस महिला को कहा था कि शाम होने से पहले तुम इस गांव को छोड़कर चले जाना और कभी भी पीछे मुड़कर मत देखना नहीं तो तुम भी पत्थर की बन जाओगी कुछ देर चलने पर उसने गांव वालों की चीख सुनकर पीछे मुड़कर देखा और वह भी पत्थर की बन गई।
हैरानी की बात तो यह है कि भारतीय पुरातत्व विभाग भी इस मंदिर से जुड़ी कहानी को सच मानता है उनके अनुसार उनके पास ऐसे रिकॉर्ड मौजूद है जिसमें मंदिर में जाने वाले लोगों की रहस्यमई तरीके से मौत हो गई और वह जिंदा नहीं लौट सके और गांव वालों के अनुसार उनकी आत्मा ने यहां पत्थर का रूप ले लिया।
यह मंदिर करीब 900 सालों से वीरान पड़ा है लोगों के मन में इतना डर उत्पन्न हो गया है कि लोग इसमें रात को तो क्या दिन में भी आना छोड़ गए हैं।
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