मनुष्य की मृत्यु का कारण
प्राचीन काल में एक गांव में एक विधवा औरत रहा करती थी जिसका एकमात्र सहारा उसका एक 10 साल का बेटा था वह दूसरों के घरों में काम करके अपने उस बेटे का पालन पोषण करती हुई अपना समय काट रही थी लेकिन तभी दुर्भाग्यवश उसके बेटे को एक सांप ने काट लिया जिससे उसकी मृत्यु हो गई। जिस सांप ने उस बालक को काटा था उसे एक बेलिया ने देख लिया था इसलिए वह वह बेलिया ओ साहब को पकड़ लेता है और उसे लेकर उस औरत के पास आता है जो अपने बेटे की लाश के पास शौक मगन होकर बैठी थी बेलिया उस औरत से कहता है कि यही वो शांत है जिसने तुम्हारे बेटे को डसा है तुम इस सांप को अपने हाथों से मार डालो औरत कहती है सांप को मारने से मेरा पुत्र तो जीवित नहीं होगा।
इसलिए इसे मार कर क्या फायदा इसे छोड़ दीजिए वह बेलिया उस औरत को समझाता है कि शत्रु को मारने से तुम्हारा पुत्र शोक कम हो जाएगा इसलिए इसे मार डालो लेकिन वह औरत को शाम को मारने के लिए तैयार नहीं होती है वह बेलिया उस औरत को समझाता हुआ बहुत उकसाता है जिससे वह उस सांप को मार डाले लेकिन मैं औरत उस काम के लिए राजी नहीं होती है मैं देख कर सांप बेलिए को कहता है । भाई इसमें मेरा क्या दोष है तुम क्यों बेवजह मुझे मरवाना चाहते हो अपनी इच्छा या क्रोध से इस बालक को नहीं डसा है। मुझे तो मृत्यु ने इसे डसने के लिए मजबूर किया था इसलिए मुझे मृत्यु के अधीन होकर इस बालक को डसना पड़ा इसमें दोष मेरा नहीं उस मृत्यु का ही है जब सांप ने उस बालक की मौत का सारा दोष मृत्यु के ऊपर मर दिया तो मृत्यु उन सबके सामने प्रकट हो गए और बोली तुम मुझ पर इस बालक की मृत्यु का आरोप क्यों लगा रहे हो मैंने भी काल से प्रेरित होकर तुम्हें प्रेरित किया था इसमें मेरी कोई गलती नहीं है यह सारा जगत काल के अधीन चलता है इसलिए मैं भी उसके अधीन हूं मैं कुछ भी अपनी इच्छा से नहीं करती हूं इस बालक की मृत्यु का दोषी ना मैं हूं और ना तुम मैं कल ही इसका दोषी है
जब मृत्यु ने भी सारा दोष काल के ऊपर लगा दिया तो काल में भी उन सभी के सामने प्रकट होकर कहा इस बालक की मृत्यु का कारण मृत्यु है ना मैं हूं ना यह सांप है इसकी मृत्यु का कारण है इसके कर्म इस बालक ने अपने पिछले जन्म में जो गलत काम किए थे उन्हीं की वजह से इसका विनाश हुआ है क्योंकि मनुष्य अपने किए हुए कर्मों का ही फल भुगतता है। इसलिए यह बालक अपनी मृत्यु का समय दोषी है हम सब ने तो बस इस बालक के कर्मों के अधीन होकर अपना अपना कार्य किया है काल की यह बात सुनकर पुत्र शोक में डूबी हुई वह औरत समझ गई कि मनुष्य को अपने कर्म अनुसार ही फल मिलता है इस सब को समझते ही उस महिला के मन से पुत्र शोक खत्म हो गया दोस्तों सच्चाई यही है कि हमारे साथ जो भी बुरा या भला होता है वह हमारे अपने ही कर्मों के कारण होता है इसलिए हमें ऐसे कर्म करने चाहिए जिससे हमें उसका फल अच्छा ही मिले।
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