भारत की वह नदी जहां निकलता है सोना
भारत की वह जगह जहां पानी में बहता है सोना जी हां दोस्तों इस बात पर आपको चाहे यकीन हो चाहे ना हो मगर भारत में एक ऐसी जगह भी मौजूद है जहां सोना किसी खदान से नहीं बलिक नदी के पानी में बहता है और यहां के कई लोग सोने को निकाल निकाल कर करोड़पति भी बन चुके हैं कोई वक्त था जब भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था। भारत के कई पुराने मंदिरों में टनो के हिसाब से सोना और हीरे जवाहरात रखे हुए थे जिसे अंग्रेज भारत से जाते वक्त अपने साथ ले गए थे।
सभी सोने और हीरे हमारी भारत की खदानों और नदियों में पाए गए थे। आज ही भारत में वह नदी बहती है जिसके पानी में सोने के कन पाए जाते हैं यह नदी झारखंड में रतन गरबा नामक जगह से बहती है इस नदी को लोग स्वर्णिका के नाम से भी जानते हैं तो चलिए दोस्तों बताते हैं आपको इस नदी के बारे में पूरी बात।
स्वर्णिका नदी सालों से रेत के कणों के साथ सोने के कारण विभागीय चली आ रही है यह नदी मुख्य रूप से झारखंड पश्चिम बंगाल और उड़ीसा के कुछ इलाकों में बहती है। नदी में सोने के कण कहां से आती है। इस बात का पता शोधकर्ता आज तक नहीं लगा पाए। मगर कुछ वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह नदी कई ऐसी चट्टानों से होकर गुजरती है।जहां पर सोना होने की संभावनाएं हैं और शायद पानी और चट्टान के घर्षण के कारण बारिश होने के कारण पानी के साथ नदी में बहने लगते हैं। सोने की इस नदी को कई लोग शुगर नदी के नाम से भी जानते हैं वे शुगर नदी राज्य से 16 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में स्थित नगरी गांव में रानी चूहा नाम की जगह से निकलती है।
स्वर्ण नदी की सहायक नदी करकरी नदी से रेत के कन आकर इस नदी में मिल जाते हैं हालांकि कुछ लोगों का यह कहना है कि स्वर्ण नदी में सोने के कारण करकरी नदी से ही आते हैं झारखंड में दमाङ और सारंडा जैसी जगह के आसपास आदिवासी जनजातियां रहती है जो सोनी को नदी से निकालने का काम करती है।इन लोगों की कई पीढ़ियां यह काम करती चली आ रही। इन परिवारों के सभी पुरुष महिलाएं तथा बच्चे सारा दिन पानी से छानकर इस सोनी को निकालने का काम करते हैं यह लोग यह काम लगभग पूरा साल करते हैं।
मगर बरसात के मौसम में नदी में बाढ़ आने के कारण तकरीबन 2 महीने तक यह काम बंद रहता है। आपको बता दें कि एक अंदाजे से जीत व्यक्ति को पूरे दिन की कड़ी मेहनत के बाद सोने का सिर्फ एक या फिर दो कन मिल पाते हैं यानी एक अनुमान से पूरे महीने में प्रति व्यक्ति सिर्फ 40 से 50 कन मिल पाते हैं मगर दुख की बात तो यह है कि जो लोग इस सोनी को नदी से इतनी मेहनत से निकालते हैं उनको इसकी सही कीमत नहीं मिल पाती। जिसके कारण यह लोग गरीब की गरीबी है इसका मुख्य कारण यहां के लोगों की शिक्षा है।
मगर जो व्यापारी इन लोगों से सोना खरीदते हैं वह बहुत ही जल्द अमीर बन जाते हैं क्योंकि व्यापारी लोगों से इन कणों को ₹50 प्रति कन के हिसाब से खरीदे हैं और सोने की मार्केट में 500 से 700 प्रती कन के हिसाब से बेच देते है। जिसके कारण व्यापारी बहुत जल्द करोड़पति बन गए हैं। आपको बता दें कि इस नदी के आसपास की मॉडल मिट्टी में भी सोने के कई कर पाए जाते हैं यहां के आदिवासी लोग यहां की चट्टानों की मिट्टी को अपने घर लेकर उन्हें पानी से धोकर कपड़े में छानकर एक विशेष प्रक्रिया के द्वारा सोना निकाल लेते हैं मगर हैरानी की बात यह है कि सोने की इस मिट्टी से जुड़े लोग सोने की धरती और सोने की पानी वाली जगह में रहकर भी अपना जीवन गरीबी में ही गुजारते हैं।
अगर आपको भी कभी उड़ीसा या झारखंड जाने का मौका मिले तो यहां जरूर विजिट करना क्या पता आपको कई सोना ही मिल जाए सरकार इन लोगों की स्थिति को सुधारने के लिए कई प्रयास करती है मगर यह लोग अपने काम से ही खुश हैं और ऐसी जिंदगी जीना चाहते हैं आप क्या कहेंगे क्या इनको ऐसे ही रहना चाहिए यह कमेंट करके हमें बताएं।
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